रिपब्लिक भारत न्यूज़ 19-11-2024
तिरुपति बाला जी मंदिर के प्रसाद का मामला विवादों में आने के बाद जनता द्वारा लगातार मंदिरों के प्रसाद गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगे थे। गत अक्टूबर महीने में फूड एंड सेफ्टी विभाग की टीम ने मंदिर की दुकानों में औचक दस्तक देकर यहां मंदिर की कैंटीन और विभिन्न दुकानों में बनाए जाने वाले रोट के सैंपल भरे थे।
माना जाता है कि आमतौर में रोट एक महीने तक खराब नहीं होता है। यह रोट आटा, मैदा, डाल्डा घी या रिफाइंड, चीनी और गुड़ इत्यादि से बनाया जाता है। उधर, देसी घी का रोट केवल ऑर्डर पर बनाया जाता है।
इसी के चलते उत्तर भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ दियोटसिद्ध स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर में प्रशाद के रूप में चढ़ाए जाने वाले रोट के भी सैम्पल भरे गए थे क्योकि उसकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे थे।
अंततः प्रशाद के रूप में चढ़ाए जाने वाले रोट की गुणवत्ता पर उठ रहे सवालों पर कंडाघाट लैब ने मुहर लगा दी है। लैब से आए रोट के सैंपल रिपोर्ट में रोट फेल पाए गए हैं। रोट का ये सैंपल देवाशिष्ठित की कैंटीन से लिया गया था। जांच में पाया गया है कि स्वास्थ्य की गुणवत्ता के दृष्टिगत यह रोट खाने लायक नहीं है।
असिस्टेंट कमीश्रर फूड एंड सेफ्टी अनिल शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दियोटसिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर में रोट के जो सैंपल भरे थे उसकी रिपोर्ट आ गई है। कंडाघाट लैब से आई रिपोर्ट में यह सैंपल फेल पाए गए हैं । उन्होंने बताया कि सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही विभाग की ओर से कार्रवाई की जाएगी।