कानून ताक पर रख चल रहे स्टोन क्रशर पर हाईकोर्ट की सख्ती, मशीनरी जब्त कर क्रशर सील करने के आदेश

रिपब्लिक भारत न्यूज़ 29-11-2024

सोलन जिला  के नालागढ़  में कायदे-कानून को ताक पर रखकर चलाए जा रहे स्टोन क्रशर सील होंगे और  उनकी मशीनरी भी जब्त की जाएगी।  हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गैरकानूनी स्टोन क्रशर के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं।   हाईकोर्ट में एक संस्था द्वारा दाखिल याचिका  में 13 स्टोन क्रशर को पर्यावरण बिगाड़ने का आरोपी बनाया गया था।

हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को खुद संबंधित क्षेत्र में स्थापित स्टोन क्रशर के निरीक्षण का आदेश दिया।  साथ ही उन स्टोन क्रशरों की मशीनरी को जब्त व परिसर को सील करने के आदेश दिए हैं, जिन्होंने जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण सोलन की 13 दिसंबर 2023 की रिपोर्ट में बताई गई खामियों को दूर नहीं किया है।

हाईकोर्ट ने डीसी सोलन और एसपी बद्दी को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को उपरोक्त एक्शन के दौरान उचित सहायता प्रदान करने के भी आदेश दिए।

 याचिका पर हाईकोर्ट का आदेश

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हंडूर पर्यावरण मित्र संस्था की तरफ से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई की ।    इस याचिका में प्रार्थी संस्था ने राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित 13 स्टोन क्रशर्स के मालिकों को प्रतिवादी बनाया है ।    प्रार्थी संस्था ने नालागढ़ क्षेत्र में अवैध तरीके से खनन और नियमों की अवहेलना कर रहे क्रशर्स पर कार्रवाई की मांग की थी।

प्रार्थी संस्था का आरोप है कि जिन टिप्परों में 15 टन माइनिंग का माल दर्शाया जाता है, उनमें अकसर 30 से 35 टन माल की ढुलाई होती है ।  इससे सरकार को प्रति टिप्पर हजारों रुपए के राजस्व का भी नुकसान होता है ।

शिकायत में कहा गया है कि पंजेहरा के साथ लगते गांव नवग्राम में बहुत से स्टोन क्रशर अवैध रूप से चल रहे हैं ।    ये स्टोन क्रशर अपना वेस्ट मेटिरियल साथ लगती नदी में डंप करते हैं ।    कुछ हिस्सा सड़क पर भी फेंक दिया जाता है ।

याचिका में कहा गया है कि ग्राम पंचायत जगतपुर, जोघों रिया व व गाव ढला-थां के लोगों की जमीनें नदी के दोनों किनारे पर है ।    किसानों को खेती-बाड़ी का काम करने के लिए नदी से होकर आना-जाना पड़ता है, लेकिन खनन माफिया ने नदी में कई फुट गहरे सैंकड़ों गड्ढे कर दिए हैं ।    इससे किसानों व दोनों तरफ रहने लोगों, स्कूली बच्चों को आने जाने के लिए बहुत समस्या हो गई है ।   इलाके के बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं व पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं ।    खनन के लिए नदी एरिया में जिन नियमों-शर्तों पर लीज दी गई है, उनके खिलाफ काम हो रहा है।

एक से डेढ़ साल में ही नदी 15 फुट गहरी हो गई है ।    इससे नदी के साथ लगती निजी/सरकारी जमीन व जंगलात भूमि के हजारों पेड़ सूख गए हैं ।    खनन से नदी में 20/20 फुट गहरे गढ्ढों से भूमिगत पानी का स्तर नीचे जा रहा है ।    नदी में 8 सरकारी ट्यूबवेल, दो सिंचाई कूहलें, 4 पुराने कुएं व 4 निजी ट्यूबवेल हैं ।    इससे करीब 50,000 आबादी को पीने व सिंचाई का पानी मिलता है, लेकिन अंधाधुंध व अवैज्ञानिक तरीके से हो रहे खनन के कारण भूमिगत पानी का स्तर नीचे जा रहा है ।    इससे कुएं आदि सूख रहे हैं ,लोगों को अब पानी की समस्या आनी शुरू हो गई है ।

हाईकोर्ट ने इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को रिपोर्ट बनाने के लिए कहा था। अब हाईकोर्ट ने कानून के खिलाफ चल रहे क्रशर्स पर सख्ती दिखाते हुए उन्हें सील करने और मशीनरी जब्त करने के आदेश दिए हैं।

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