रिपब्लिक भारत न्यूज़ 07-07-2024
भगवान श्री जगन्नाथ की 16वीं रथयात्रा रविवार को ऐतिहासिक शहर नाहन में धूमधाम से निकाली गई। हर तरफ हरे रामा, हरे कृष्णा.. कृष्णा-कृष्णा हरे हरे और जय श्री जगन्नाथ से जयघोषों से शहर भक्तिमय हो उठीं। बैंड-बाजे, सिरमौरी लोक वाद्ययंत्र और डीजे की मधुर धुनों पर थिरकते हुए श्रद्धालु भक्तिरस में चूर दिखे। इस दौरान हर कोई भगवान श्री जगन्नाथ के रथ का रस्सा खींचने को बेताब रहा।
इससे पहले सुबह आरती के बाद बड़ा चौक स्थित भगवान श्री जगन्नाथ मंदिर से पालकी यात्रा शुरू हुई, जो दिल्ली गेट चौगान, महिमा लाइब्रेरी होते हुए कालीस्थान मंदिर पहुंची. यहां से पालकी यात्रा ऐतिहासिक चौगान मैदान पहुंची, जहां पालकी पर सवार भगवान श्री जगन्नाथ, माता सुभद्रा और बलभद्र को एक-एक पर रथ पर आरूढ़ किया गया। इस भव्य मिलन देख लोग भावविभोर हो उठे। यहां छप्पन भोग और आरती के बाद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डा. राजीव बिंदल ने रथयात्रा का विधिवत शुभारंभ किया।
दिल्ली गेट से यात्रा नए बाजार की ओर रवाना हुई, जहां भगवान श्री जगन्नाथ जी नाहन शहर के कालीस्तान मंदिर पहुंचे। कालीस्तान मंदिर से पालकियां नाहन के ऐतिहासिक चौगान मैदान में पहुंची, जहां भगवान के वस्त्र बदले गए। इसके बाद भगवान जी को पालकियों से उतारकर रथ में विराजमान किया गया।
श्री जगन्नाथ रथ यात्रा मंडल समिति के अध्यक्ष प्रकाश बंसल ने बताया कि यात्रा चौगान मैदान से माल रोड, गुन्नूघाट होते हुए रानी ताल, कच्चा टैंक और शीतला माता मंदिर तक पहुंची । यात्रा के दौरान सुसज्जित रथ में विराजमान भगवान श्री जगन्नाथ के दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने नंगे पांव रथ का रस्सा खींच कर पुण्य कमाया। नाहन शहर की सड़कों पर लोग भारी संख्या में जुटे। जगह-जगह प्रसाद, शर्बत, कुल्फी समेत अन्य शीतल पेय के स्टॉल भी लगाए गए।
इस एतिहासिक पल को लोगों ने अपने कैमरों में भी कैद किया।
आपको बता दें, यह रथ यात्रा हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर विशाल रथ यात्रा निकाली जाती है, फिर आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की 10वीं तिथि पर इसका समापन होता है।