डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में कुलपति पद को लेकर हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस ने शिमला में की प्रेस कॉन्फ्रेंस

रिपब्लिक भारत न्यूज़ 03-05-2025

राजीव भवन, शिमला में आज आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष छत्तर सिंह ठाकुर, महासचिव डॉ. रणजीत वर्मा एवं उपाध्यक्ष आमला कश्यप ने संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित करते हुए डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन (हिमाचल प्रदेश) में कुलपति पद को लेकर उत्पन्न स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

प्रेस वार्ता में बताया गया कि डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन (हिमाचल प्रदेश) में कुलपति का पद 8 मई, 2025 के बाद रिक्त होने जा रहा है। हालांकि, नए कुलपति के पद को भरने के लिए राज्यपाल कार्यालय द्वारा विज्ञापन नहीं दिया गया है। इस बीच, यह पता चला है कि वर्तमान कुलपति डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल को विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत गलत तरीके से अपने पद पर बने रहने की अनुमति दी जा सकती है क्योंकि डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल की कुलपति के रूप में नियुक्ति को विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने माननीय हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय, शिमला में इस आधार पर चुनौती दी है कि डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल को एक चयन समिति द्वारा गैरकानूनी तरीके से नियुक्त किया गया था, जिसमें महानिदेशक, आईसीएआर सदस्य नहीं थे। जो विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 24 के तहत अनिवार्य है।

यह उल्लेखनीय है कि समान आधार पर, हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर में कुलपति के चयन की प्रक्रिया, जिसमें चयन समिति में महानिदेशक, आईसीएआर सदस्य नहीं थे, को हाल ही में माननीय उच्च न्यायालय, शिमला द्वारा 26.03.2025 के निर्णय में रद्द कर दिया गया था। यहां यह उल्लेखनीय है कि दोनों विश्वविद्यालयों के मामले में कुलपति की नियुक्ति के प्रावधान विश्वविद्यालय अधिनियम में समान हैं।

पूर्ण अनिश्चितता के इस परिदृश्य में, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल द्वारा रिकॉर्ड पर यह भी कहा गया है कि कुलपति के पद का प्रभार विश्वविद्यालय के वरिष्ठ डीन को सौंपा जा सकता है। यदि ऐसा किया जाता है तो यह डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन (हिमाचल प्रदेश) के अधिनियम की धारा 24 की उपधारा (5) का पूर्ण उल्लंघन होगा, जिसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति की अनुपस्थिति में कुलपति के पद का प्रभार विश्वविद्यालय में संकाय के वरिष्ठ योग्य सदस्य को ही सौंपा जाएगा।

मामले का तथ्य यह है कि 8 मई, 2025 के बाद वर्तमान कुलपति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद विश्वविद्यालय के वरिष्ठ डीन को कुलपति के पद का प्रभार सौंपना एक साजिश है, ताकि कट्टर आरएसएस/भाजपा पृष्ठभूमि के व्यक्ति को कुलपति के पद पर समायोजित किया जा सके, ताकि वर्तमान कुलपति द्वारा अपनाए जा रहे विश्वविद्यालय के भगवाकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाया जा सके।

इसके अलावा, विश्वविद्यालय में डीन की कोई वरिष्ठता सूची नहीं रखी गई है और डीन की वरिष्ठता भी प्रोफेसरों की वरिष्ठता सूची से ली जाती है। इस बात पर भी जोर दिया जाता है कि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर द्वारा डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल की नियुक्ति को चुनौती देने वाले अदालती मामले में माननीय उच्च न्यायालय, शिमला द्वारा 1 मई, 2025 को आदेश दिया गया है कि याचिका के लंबित रहने के दौरान कुलपति के पद पर नियमित या स्थानापन्न आधार पर चयन/नियुक्ति, यदि कोई हो, विश्वविद्यालय अधिनियम के सख्त अनुपालन के अनुसार ही की जाए।

यह भी उल्लेखनीय है कि युवा कांग्रेस पहले ही डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल द्वारा कुलपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान की गई प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं की सूची राज्य सरकार और राज्यपाल, हिमाचल प्रदेश को सतर्कता जांच हेतु सौंप चुकी है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति की नियमित नियुक्ति आज तक नहीं की गई है और वहां डेढ़ वर्ष से अधिक समय से कुलपति का कार्यभार विश्वविद्यालय के सबसे वरिष्ठ योग्य संकाय (प्रोफेसर) को सौंपा गया है। उल्लेखनीय है कि नियमित कुलपति की अनुपस्थिति में कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति का प्रावधान पालमपुर और सोलन दोनों विश्वविद्यालयों में समान है।

अतः राज्यपाल हिमाचल प्रदेश-सह-विश्वविद्यालय के कुलाधिपति से मांग की जाती है कि वर्तमान कुलपति डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल को 8 मई 2025 के बाद उनका कार्यकाल समाप्त होने पर पद पर बने रहने की अनुमति न दी जाए क्योंकि उन पर पक्षपातपूर्ण कार्य करने का आरोप है तथा उनकी नियुक्ति कानूनी जांच के अधीन है तथा पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय की तर्ज पर नए कुलपति की नियुक्ति होने तक विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार कुलपति के पद का कार्यभार विश्वविद्यालय के वरिष्ठतम योग्य प्राध्यापक (प्रोफेसर) को सौंपा जाए। अन्यथा युवा कांग्रेस उपरोक्त मांगों की पूर्ति के लिए जोरदार आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर होगी।

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