रिपब्लिक भारत न्यूज़ 15-08-2025
हिंदुस्तान के 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर, स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया, हिमाचल प्रदेश ने राज्य भर में झंडा-रोहण और जुलूस आयोजित किए, जिनमें शहीदों और इंक़लाबी सिपाहियों की बे-मिसाल कुर्बानियों और संघर्षों को याद किया गया, जिन्होंने औपनिवेशिक जुल्म के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी। तिरंगा, स्कूलों और कॉलेजों में उस जज़्बे के साथ लहराया गया, जो कभी अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ जनता की जंग को रफ़्तार देता था।
रैली को संबोधित करते हुए, एसएफ़आई- हिमाचल राज्य सचिव कॉमरेड सनी सैक्टा ने कहा कि आज़ादी कोई तोहफ़ा नहीं थी, बल्कि मज़दूरों, किसानों, छात्रों और तरक़्क़ीपसंद ताक़तों की लंबी लड़ाई का नतीजा थी, जो अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ एकजुट हुए थे। एसएफ़आई राज्य अध्यक्ष कॉमरेड अनिल ठाकुर ने कहा कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि ज़ुल्म, शोषण और साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ जंग आज भी जारी है।
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान और बे-शुमार शहीदों की कुर्बानियों को याद करते हुए, एसएफ़आई हिमाचल ने देश और दुनिया में बढ़ती तानाशाही प्रवृत्तियों के प्रति होशियार रहने की अपील की। संगठन ने अमरीका की साम्राज्यवादी नीतियों की सख़्त निंदा की, ख़ासकर हालिया टैरिफ़ बढ़ोतरी की, जिसने भारत की माली हालत को बुरी तरह प्रभावित किया है, महंगाई बढ़ाई है और मेहनतकश अवाम पर बोझ डाला है। यह आर्थिक हमले भी अतीत के औपनिवेशिक लूट की तरह, वैश्विक कारपोरेट और मुनाफ़ाख़ोर ताक़तों के हित में हैं, जो मुल्कों की ख़ुदमुख़्तियारी को कुचलते हैं।
एसएफ़आई-एचपी ने दोहराया कि आज लोकतंत्र, संप्रभुता और अवाम के हक़ूक़ की हिफ़ाज़त के लिए, हमें घरेलू तानाशाही और बाहरी साम्राज्यवादी दबाव, दोनों के ख़िलाफ़ एकजुट होकर लड़ना होगा। स्वतंत्रता दिवस का असल मतलब सिर्फ़ झंडा लहराना नहीं, बल्कि शोषण और ज़ुल्म के हर रूप के ख़िलाफ़ जंग की विरासत को आगे बढ़ाना है।
एसएफ़आई-एचपी हिमाचल प्रदेश के तमाम छात्रों और नौजवानों से आह्वाहन करती है कि वे संगठित हों, एकजुट हों, और एक सच्चे मायनों में आज़ाद, लोकतांत्रिक और बराबरी पर आधारित हिंदुस्तान के लिए संघर्ष करें , जो अंदरूनी जुल्म और बाहरी साम्राज्यवाद, दोनों से मुक्त हो।