दिल की अति दुर्लभ बीमारी ‘राइट पलमनरी आर्टरी टू लेफ्ट एट्रियम फिजुला’ का अमृतसर के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने किया सफल इलाज

पूरी दुनिया में अब तक सामने आए 100 से भी कम मामले

सर्जरी के तुरंत बाद 13 साल की एक लड़की का रंग नीले से हो गया गुलाबी

रिपब्लिक भारत न्यूज़ 14-07-2024

गुरु नानक देव अस्पताल अमृतसर के कार्डियोलॉजी विभाग ने एक 13 वर्षीय लड़की के अति दुर्लभ एवं घातक हृदय रोग की सफलतापूर्वक सर्जरी करके न केवल पंजाब या भारत में बल्कि पूरे विश्व में अमृतसर का नाम रोशन किया है। यह इतिहास रचने वाले हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. परमिंदर सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि गांव बुड्ढा खूह (अमृतसर) निवासी हरपिंदर सिंह की बेटी सिमरजीत कौर (13 वर्ष) को जब उसके माता-पिता अस्पताल लेकर आए, तो कार्डियोग्राफी करने पर पता चला कि उस के दिल में छेद है।

हृदय संबंधी सी. टी. स्कैन करवाने पर पुष्टि हुई कि उक्त बच्ची जन्मजात ‘राइट पलमनरी आर्टरी टू लेफ्ट एट्रियम फिजुला’ बीमारी से पीड़ित है। जिसके कारण उस की प्लमनरी धमनी से एक नस निकलकर हृदय के बाईं ओर चली गई, जिसके कारण उस के हृदय में गंदा रक्त ऑक्सीजन युक्त अच्छे रक्त के साथ मिल रहा था। शरीर के अंगों में ऑक्सीजन की कमी के कारण जहां उसका शारीरिक विकास नहीं हो रहा था, वहीं उसके पूरे शरीर का रंग भी नीला पड़ गया था।

उन्होंने कहा कि ऐसे मरीज जीवन के चौथे दशक तक पहुंचने से पहले ही मर जाते हैं। डॉ. परमिंदर सिंह ने कहा कि 1950 में एलएन फ्रेडरिच नामक अमेरिकी वैज्ञानिक ने इस बीमारी के बारे में जानकारी सार्वजनिक की थी और तब से पूरी दुनिया में अब तक इस घातक बीमारी के 100 से भी कम मामले दर्ज किए गए हैं।


डॉ. परमिंदर सिंह ने कहा कि इस बीमारी के इलाज के लिए मेजर बाईपास सर्जरी की आवश्यकता होती है, लेकिन उन्होंने अपने डॉक्टरों की टीम में शामिल डॉ. पंकज सारंगल, डॉ. निशान सिंह, डॉ. सौमिया, डॉ. तेजबीर सिंह, गौरव हंस, गुरदीप सिंह, संदीप कौर, वीना देवी, परवीन कौर, हरदीप कौर और नवनीत कौर के सहयोग से एक नई तकनीक के चलते बिना चीरफाढ़ किए या कोई टांका लगाए केथटर द्वारा अंजीयोग्राफी करके पीडीए डिवाइस लगाकर दिल का छेद बंद कर दिया।

उन्होंने बताया कि सर्जरी के दौरान सिमरजीत कौर का ऑक्सीजन लेवल 70 फीसदी से बढ़कर 100 फीसदी हो गया और उसका रंग भी नीले से गुलाबी हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि आयुष्मान कार्ड की बदौलत उक्त लड़की के वारिसों को इलाज का कोई खर्च नहीं उठाना पढ़ा है और 14 जुलाई को उसे डिस्चार्ज कर घर भेज दिया जाएगा।

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