हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय संध्याकालीन विभाग में शिक्षण संस्थानों में बढ़ रहे यौन शोषण के खिलाफ एसएफआई ने किया धरना प्रदर्शन

रिपब्लिक भारत न्यूज़ 18-07-2025

एसएफआई हिमाचल प्रदेश संध्याकालीन अध्ययन विभाग इकाई कमेटी ने उड़ीसा में प्रोफेसर द्वारा एक छात्रा के साथ किए गए यौन शोषण के खिलाफ और हिमाचल प्रदेश में छात्राओं के साथ बढ़ते यौन उत्पीड़न के विरुद्ध धरना प्रदर्शन किया गया ।

SFI फकीर मोहन कॉलेज, बालासोर (ओडिशा) में हुई भयावह घटना के आलोक में गहरा दुःख, रोष और एकजुटता व्यक्त करती है, जहाँ एक छात्रा ने लंबे समय तक यौन उत्पीड़न और प्रशासनिक उपेक्षा के बाद कॉलेज परिसर में आत्मदाह का प्रयास किया। वह वर्तमान में 90% जली हुई अवस्था में एम्स भुवनेश्वर में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही है। उसे बचाने की कोशिश करने वाले उसके दो दोस्तों का भी जलने के घावों का इलाज चल रहा है।

यह क्रूर घटना अचानक नहीं हुई, बल्कि बार-बार संस्थागत उदासीनता का परिणाम है। छात्रा ने प्रिंसिपल, आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी), स्थानीय पुलिस और यहाँ तक कि बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी, ओडिशा के उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सहित वरिष्ठ भाजपा नेताओं को भी शिकायत दर्ज कराई थी। उसने अपनी शिकायत सोशल मीडिया पर भी सार्वजनिक की थी। परन्तु उसकनबावजूद भी इन सभी अधिकारियों ने उसकी कोई सुनवाई नहीं की। जाँच का उद्देश्य न्याय दिलाने के बजाय आरोपी प्रोफेसर को बचाना था। यह कोई अकेली घटना नहीं है। कुछ ही महीने पहले, फरवरी 2024 में, भुवनेश्वर स्थित आईआईटी विश्वविद्यालय में एक नेपाली छात्रा ने यौन उत्पीड़न का सामना करने के बाद आत्महत्या किया था । देश के अंदर प्रत्येक शिक्षण संस्थान POSH अधिनियम, 2013 के अनुसार एक वैध ICC का गठन करने में विफल रहा और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निष्कर्षों को जानबूझकर दबा दिया गया।
ये सिर्फ़ विफलताएँ नहीं हैं, ये पितृसत्ता, दंड से मुक्ति और राजनीतिक मिलीभगत के ढाँचे द्वारा संचालित प्रणालीगत अपराध हैं।

हिमाचल प्रदेश में भी इस तरह की अनेक घटनाएं सामने आई है जो बेहद शर्मनाक घटना है। शिमला के चौड़ा मैदान स्थित सरकारी हाई स्कूल में, कक्षा 6 की एक छात्रा के साथ एक शास्त्री शिक्षक ने यौन उत्पीड़न किया। लड़की ने अपनी एक सहेली को बताया कि शिक्षक काफी समय से उसे गलत तरीके से छू रहा था, जिसके कारण वह डर के मारे स्कूल नहीं जा पा रही थी। मामला तब प्रकाश में आया जब उसकी बहन ने परिवार को इसकी जानकारी दी और लड़की की माँ ने बाद में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
बलूगंज पुलिस स्टेशन में पॉक्सो और आईपीसी की धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई है और पुलिस जाँच जारी है। आरोपी शिक्षक फिलहाल जमानत पर बाहर है, जिससे अभिभावकों स्थानीय समुदाय में गंभीर चिंता और आक्रोश है। एसएफआई ने स्कूल का दौरा किया और प्रशासन से मांग की, कि आरोपी को तुरंत निलंबित किया जाए और पीड़िता को न्याय प्रदान किया जाए ।

इसी प्रकार की एक घटना सिरमौर में हाल ही में हुए एक मामले से मिलती-जुलती है, जहाँ एक सरकारी स्कूल की 24 छात्राओं ने एक अन्य शिक्षक द्वारा अनुचित तरीके से छूने की शिकायत की थी, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था। हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बार-बार होने वाले ये उल्लंघन दर्शाते हैं कि छात्राएँ, यहाँ तक कि छोटी लड़कियाँ भी, शैक्षणिक संस्थाओं में कितनी असुरक्षित हैं।

पूरे भारत में, यही कहानियाँ हैं। दक्षिण कलकत्ता लॉ कॉलेज (पश्चिम बंगाल) में, कॉलेज यूनियन कार्यालय के अंदर एक लड़की के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया, जो टीएमसी के संरक्षण में उत्पीड़न का केंद्र बन गया है। महाराष्ट्र के ठाणे में, स्कूली छात्राओं की मासिक धर्म की जाँच के लिए जबरन कपड़े उतारकर तलाशी ली गई, जिससे उनकी गरिमा और निजता का हनन हुआ। सत्ता में बैठे लोग, चाहे वह भाजपा हो, टीएमसी हो, कांग्रेस हो या कोई अन्य सत्ताधारी वर्ग, प्रशासनिक और राजनैतिक शक्तियों का दुरुपयोग करके अपराधियों को सक्षम और संरक्षित करते हैं, इन जघन्य कृत्यों को नियमित रूप से दबा देते हैं। ओडिशा से हिमाचल प्रदेश, बंगाल से महाराष्ट्र तक, यौन हिंसा के प्रति संस्थागत प्रतिक्रिया एक ही है ।

एसएफआई हि ० प्र ० संध्याकालीन विभाग विभाग यह माँग करती है:-

उड़ीसा के उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज का जल्द से जल्द इस्तीफ़ा दे ।
फकीर मोहन कॉलेज के आरोपी प्रोफेसर , लापरवाह पुलिस अधिकारियों और आईसीसी सदस्यों के खिलाफ निष्पक्ष जांच और समयबद्ध जांच कराई जाए ।
शिमला में छेड़छाड़ मामले में आरोपी शिक्षक को अपराधिक दंड दिया जाए और शिक्षण संस्थानों में ‘ लिंग संवेदनशीलक ‘ कमेटी का गठन किया जाए ।

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