रिपब्लिक भारत न्यूज़ 26-08-2025
सोलन–सनौरा–राजगढ़–नौहराधार–हरिपुरधार–रोनहाट–मीनस सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने अथवा प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना में तत्काल शामिल करने की सामाजिक संगठन प्रदेश हाटी विकास मंच व विभिन्न जनसंगठनों की ओर से मांग की गई है। इस मांग को लेकर मंच ने राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री हर्षवर्धन चौहान को एक ज्ञापन सौंपा।
इस ज्ञापन में बताया गया कि यह ऐतिहासिक सड़क, जिसे 1958 से 1962 के बीच हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री व राज्य निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार के नेतृत्व में जनता के श्रमदान से बनाया गया था, आज भी सिरमौर और आसपास के पर्वतीय व जनजातीय क्षेत्रों की जीवनरेखा मानी जाती है। डॉ. परमार स्वयं इस सड़क के निर्माण कार्य में अपने हाथों से श्रमदान करते रहे, जो आज भी प्रदेशवासियों के लिए प्रेरणास्रोत है।
दुर्भाग्यवश, इस सड़क का निर्माण होने के बाद से अब तक इसका उचित चौड़ीकरण और आधुनिकीकरण नहीं हो पाया है। संकरे मार्ग और खराब हालत के कारण विशेषकर बरसात के दिनों में आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। यह मार्ग सिरमौर जिले के लगभग तीन लाख से अधिक ग्रामीण व जनजातीय लोगों के जीवन, आजीविका, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच का मुख्य साधन है।
साथ ही यह मार्ग धार्मिक व पर्यटन दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चूड़धार मंदिर, मां भंगायणी मंदिर, श्री रेणुका जी मंदिर जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों को जोड़ता है। बेहतर सड़क सुविधा मिलने से धार्मिक पर्यटन, स्थानीय व्यापार और कृषि को नई दिशा मिलेगी।
संगठन ने यह भी रेखांकित किया कि यह सड़क ट्रांस-गिरी क्षेत्र के अनुसूचित जनजाति (ST) बहुल इलाकों से होकर गुजरती है और साथ ही पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के जौनसार-बावर के आदिवासी समुदाय को भी लाभान्वित करेगी। सड़क का उन्नयन शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक समावेशन की दिशा में आदिवासी समाज के लिए क्रांतिकारी कदम साबित होगा।
इस प्रतिनिधि मंडल में प्रदेश हाटी विकास मंच के अध्यक्ष प्रदीप सिंह सिंगटा, महासचिव डॉ. अनिल भारद्वाज और प्रांत कोषाध्यक्ष वी एन भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट रविंद्र सिंह ठाकुर, मुख्य प्रवक्ता विवेक तोमर, सतपाल चौहान, रोशन शर्मा, हितेंद्र ठाकुर, अनिल ठाकुर, सोबित ठाकुर, शामिल रहे।
हाटी विकास मंच ने विश्वास व्यक्त किया है कि प्रदेश सरकार शीघ्र ही इस विषय को केंद्र सरकार के समक्ष रखकर सिरमौर व आसपास के पर्वतीय व जनजातीय क्षेत्रों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करेगी।