हाईकोर्ट ने कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की 112 हेक्टेयर भूमि की प्रकृति में किसी भी तरह के परिवर्तन पर लगायी रोक

रिपब्लिक भारत न्यूज़ 23-11-2024

पर्यटन विभाग के नाम हस्तांतरित की गई पालमपुर स्थित चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर भूमि की प्रकृति में किसी भी तरह के परिवर्तन पर प्रदेश हाईकोर्ट ने  रोक  लगा दी है। कोर्ट ने 24 सितम्बर के आदेश में संशोधन करते हुए पर्यटन विभाग को आदेश दिए कि वह उक्त भूमि पर किसी तरह का निर्माण न करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कृषि विश्वविद्यालय इस भूमि का पहले की तरह उपयोग कर सकता है परंतु उसे भी वहां स्थाई निर्माण करने की इजाजत नहीं होगी।
हाईकोर्ट ने 24 सितम्बर को  कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की भूमि पर्यटन विभाग के नाम हस्तांतरित करने पर रोक लगा दी थी, परंतु बाद में कोर्ट को बताया गया कि हाईकोर्ट से स्थगन आदेश जारी होने से पहले ही उक्त भूमि पर्यटन विभाग के नाम की जा चुकी थी। इसके बाद हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर टीचर्स एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में आवेदन दायर कर 24 सितंबर के आदेशों में जनहित को देखते हुए संशोधन की मांग की थी। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश राकेश कैंथला की खंडपीठ ने आवेदन का निपटारा करते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए।
प्रार्थी संस्था के अनुसार पर्यटन गांव बनाने के लिए कृषि विश्वविद्यालय की भूमि का हस्तांतरण किया जाना कानूनी तौर पर गलत है, क्योंकि इस परियोजना के लिए राज्य सरकार के पास अन्य विकल्प मौजूद है। प्रार्थी संस्था के अनुसार पालमपुर स्थित सीएसकेएयू एक ऐतिहासिक संस्थान है।
पालमपुर में सीएसकेएयू के पास शुरू में करीब 400 हेक्टेयर जमीन थी। समय के साथ विश्वविद्यालय की 125 हेक्टेयर जमीन विभिन्न सरकारी विभागों को आवंटित कर दी गई। अब यदि विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर जमीन पर्यटन गांव परियोजना के लिए इस्तेमाल की जाती है तो सीएसकेएयू के विस्तार के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं बचेगी।

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