सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त खौरी का दामन थामने वाले दलों कों दिया करारा झटका: प्रो दरबारी लाल

रिपब्लिक भारत न्यूज़ 15-02-2025

पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर एवं इतिहास के प्रो .दरबारी लाल ने राष्ट्र की सर्वोच्च न्यायापालिका द्वारा मुफ्त खौरी पर दिये गये फैसले को इतिहासिक बताते कहां कि यह फैसला मुफ्त खौरी का दामन थामने वाले दलों के लिए एक करारा झटका ही नहीं है बल्कि समूचे भारतीयों की आंखें खोलने वाला भी है ।

माननीय न्यायाधीशों ने अपने फैसले में स्पष्टत कहा है कि चुनाव से पहले वोट बैंक बनाने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा खुलकर रेवड़ियां बांटना किसी भी प्रदेश या देश के हित में नहीं है। इससे देश में एक ऐसा वर्ग जन्म लें रहा है जों परजीवी ही नही बल्कि निकम्मा और आलसी बन रहा है। संघर्ष करके अपनी तकदीर बदलने की बजाय वह मुख्य धारा से पिछड़ता जा रहा है। मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त सफर, मुफ्त राशन और नकद कुछ राशि मिलने पर वह अकर्मण्य होता जा रहा है। यह ना तों उसके परिवार के हित में है,ना समाज के और ना ही राष्ट्र के।इन योजनाओं से हर राजनीतिक दल कों छुटकारा पाना होगा। तथा उसे आत्म निर्भर बनाने के लिए सरकारो कों नये नये अवसर प्रदान करने होंगे। ताकि सभी लोग राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सकें।

प्रो. लाल ने कहा कि जब से मुफ्त चीजें मिलनी शुरू हुई है। क़ृषि क्षेत्र, उधोगिक क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र (निर्माण कार्य) में मजदूरों की अत्यधिक कमी आ गई है और यह क्षेत्र बिना मजदूरों के बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। पंजाब ही नहीं बल्कि कई प्रदेशों में अन्य प्रदेशों से आकर मजदूर काम कर रहे हैं जबकि उनकी भी तादाद दिन प्रतिदिन कम हो रही है।

प्रो.लाल ने कहा कि कई प्रदेशों की सरकारें इस मुफ्त खौरी के कारण आर्थिक संकट से गुजर रही है। विकास बंद हो चुका है। सड़कों का बुरा हाल है और अन्य सहुलतो से भी लोग महरूम होते जा रहे हैं। कई प्रदेशिक सरकारो ने अपनी जीडीपी का 35 से 40 प्रतिशत से अधिक कर्ज ले रखा है। जिससे इस पर व्याज देना भी सरकारो के लिए मुश्किल हो रहा है। पंजाब ने अपनी जीडीपी का 44 प्रतिशत से अधिक कर्ज ले रखा है ।जों किसी भी समय सरकार को संकट में डाल सकता है।

पंजाब सरकार की कुल आमदन 59793 करोड रूपया है जबकि इसका खर्च 83642 करोड़ रुपए है। 23 हजार करोड रूपये बिजली पर सब्सिडी है जबकि सरकार पर 3.78000 करोड़ रूपया कर्ज है। यदि 18 वर्ष से उपर महिलाओं को एक हजार रूपया प्रति माह दिया जाता है तो यह राशि 22 हजार करोड़ रुपए से अधिक बनती है। इससे स्पष्ट होता है कि मुफ्त खौरी एक दिन पंजाब का पुरी तरह दिवाला निकाल देंगी। विश्व के जिन्न जिन्न देशों ने विकास पर वोट लेने की बजाय मुफ्त खौरी का आसान रास्ता अपना लिया। वह आर्थिक तौर पर पुरी तरह बर्बाद हो गये। और उन्हें अब कोई देश कर्ज देने के लिए तैयार नहीं है।

प्रो.लाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विस्तार पूर्वक पत्र लिखकर मांग कि है कि इस विषय पर एक कमिशन गठित किया जाए जों तय करे कि इस समस्या का समाधान कैसे किया जाए। गरीब की सहायता भी हों सकें और काम करने वालों को काम उपलब्ध हो ताकि वह राष्ट्र की मुख्य धारा में आ सकें।

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