रिपब्लिक भारत न्यूज़ 09-07-2025
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के संयुक्त मंच एवं संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सीटू व हिमाचल किसान सभा बैनर तले मजदूरों व किसानों द्वारा प्रदेशव्यापी हड़ताल आयोजित की गई। इस हड़ताल में आंगनबाड़ी, मिड डे मील, मनरेगा, निर्माण, प्रदेश व बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ क्षेत्र के औद्योगिक मजदूर, बीआरओ, आउटसोर्स, ठेका, स्वास्थ्य, निर्माणाधीन पनबिजली परियोजना, सतलुज जल विद्युत निगम, होटल, रेहड़ी फड़ी तहबजारी, सैहब, सीवरेज ट्रीटपेंट प्लांट, विशाल मेगामार्ट, कालीबाड़ी मंदिर आदि के हजारों मजदूरों ने भाग लिया। इस दौरान प्रदेश में जिला व ब्लॉक मुख्यालयों में कई जगह धरने प्रदर्शन रैलियां की गईं। हड़ताल को हिमाचल किसान सभा, जनवादी महिला समिति, एसएफआई, डीवाईएफआई, एआईएलयू, पेंशनर एसोसिएशन, दलित शोषण मुक्ति मंच, जन विज्ञान आंदोलन आदि का समर्थन रहा। हिमाचल प्रदेश में किसानों ने कई जगह देहात बंद करके जिला व ब्लॉक मुख्यालय प्रदर्शनों में शामिल होकर मजदूर किसान एकता को मजबूत किया।
हड़ताल के दौरान शिमला में सीटू के बैनर तले उमड़े सैंकड़ों मजदूरों के साथ हिमाचल प्रदेश की बैंक कर्मियों की कन्फेडरेशन के तले कई यूनियनों के कर्मी, बीमा कर्मियों की यूनियन एनजेडआईईए, एचपीएमआरए बैनर तले मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव आदि भी शामिल हुए। शिमला में आईजीएमसी, केएनएच, चमयाना, मानसिक रोगियों के अस्पताल, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, होटल, तहबाजारी, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, नगर निगम शिमला की सैहब सोसाइटी, विशाल मेगामार्ट, कालीबाड़ी मंदिर, गाइड आदि के मजदूरों ने पूर्ण हड़ताल की व कामकाज पूरी तरह ठप्प कर दिया। शिमला में प्रदर्शन को सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, हिमाचल किसान सभा अध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर, बैंक कन्फेडरेशन संयोजक नरेंद्र ठाकुर, एचपीएमआरए नेता हुक्म शर्मा, रमाकांत मिश्रा, विवेक कश्यप, हिमी देवी, अनिल ठाकुर, सोनिया सबरवाल, जयशिव ठाकुर, सत्यवान पुंडीर, विश्वभूषण शर्मा, अशोक वर्मा, टेक चंद आदि ने संबोधित किया।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेशव्यापी हड़ताल को बेहद सफल करार दिया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के जरिए मजदूरों पर गुलामी थोपने व बंधुआ मजदूरी कायम करने के खिलाफ, 26 हजार न्यूनतम वेतन, योजना कर्मियों, आउटसोर्स, ठेका प्रथा, मल्टी टास्क, टेंपररी, कैजुअल, ट्रेनी की जगह नियमित रोजगार देने, मनरेगा बजट में बढ़ोतरी, मनरेगा मजदूरों हेतु न्यूनतम वेतन लागू करने, श्रमिक कल्याण बोर्ड के आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने, किसानों की कर्जा मुक्ति, न्यूनतम समर्थन मूल्य, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें लागू करने, किसानों की आत्म हत्याओं पर रोक लगाने, जमीनों व घरों से जनता की बेदखली, फोरलेन प्रभावितों को उचित मुआवजा व अस्सी प्रतिशत रोजगार आदि मांगों पर हिमाचल प्रदेश के हजारों मजदूर किसान राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान सड़कों पर उतरे।
उन्होंने कहा कि लेबर कोड लागू होने से सत्तर प्रतिशत उद्योग व चौहतर प्रतिशत मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। हड़ताल करने पर मजदूरों को कड़ी सजाओं व जुर्मानों का प्रावधान किया गया है। पक्के किस्म के रोजगार के बजाए ठेका प्रथा व फिक्स टर्म रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। काम के घंटे आठ के बजाए बारह घंटे करने से बंधुआ मजदूरी स्थापित होगी। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने तथा ग्रेच्युटी लागू करने, मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, बीमा क्षेत्र में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, मजदूरों के काम के घंटे आठ से बढ़ाकर बारह करने, फिक्स टर्म रोज़गार को रद्द करने, असंगठित मजदूरों के लिए सार्वभौमिक व्यापक सामाजिक सुरक्षा देने, ठेका मजदूरों की रोज़गार सुरक्षा सुनिश्चित करने, उन्हें नियमित कर्मियों के बराबर वेतन देने, केंद्रीय व प्रदेश सरकार के बोर्ड व निगम कर्मियों की ओपीएस बहाल करने, न्यूनतम पेंशन 9 हज़ार लागू करने, मनरेगा व निर्माण मजदूरों के श्रमिक कल्याण बोर्ड से आर्थिक लाभ व पंजीकरण सुविधा बहाल करने, एसटीपी मजदूरों के लिए शेडयूल एम्प्लॉयमेंट घोषित करने, आउटसोर्स व अस्पताल कर्मियों के लिए नीति बनाने, औद्योगिक मजदूरों को 40 प्रतिशत अधिक वेतन देने, तयबजारी को उजाड़ने के खिलाफ, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों कल लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने, आउटसोर्स, सैहब व 108 एवं 102 एंबुलेंस कर्मियों के लिए नीति बनाने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, किसानों की कर्ज़ा मुक्ति आदि मांगों को लेकर आंदोलन तेज होगा।
उन्होंने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों की मांगों को जनता में ले जाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, महंगाई और डिपुओं में राशन प्रणाली, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा कर्मियों, बिजली बोर्ड, नगर निगमों, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के ओपीएस, बीआरओ के निजीकरण व नियमितीकरण, स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव आदि मुद्दों पर मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया जाएगा।