देश के लोकतांत्रिक हितों को सशक्त करने के लिए ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ समय कीथी जरूरत: जयराम ठाकुर

रिपब्लिक भारत न्यूज़ 19-09-2024

शिमला से जारी बयान में  नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर मेंकेंद्रीय कैबिनेट द्वारा ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के प्रस्ताव को सहमति प्रदान करने को युगांतकारी कदम बताते हुए स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि देश के लोकतांत्रिक हितों को सशक्त करने के लिए ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ समय की जरूरत थी, जिसे पूरा करने का कार्य नरेंद्र मोदी की सरकार ने किया है।

‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ की नीति लागू होने से जनहित के कामों में सुगमता होगी। जयराम ठाकुर ने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है, जब देश में एक साथ सभी चुनाव होंगे। 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के बाद लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए पहली बार आम चुनाव 1951-1952 में एक साथ आयोजित किए गए थे।यह प्रथा बाद के तीन लोकसभा चुनाव में 1967 तक जारी रही, जिसके बाद इसे बाधित कर दिया गया।

यह चक्र पहली बार 1959 में टूटा जब केंद्र ने तत्कालीन केरल सरकार को बर्खास्त करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 356 को लागू किया। इसके बाद पार्टियों के बीच दल-बदल के कारण 1960 के बाद कई विधानसभाएं भंग हो गईं। इससे लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग चुनाव हुए। वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ होते हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक समिति का निर्माण किया था। इसमें गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल थे। ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ से सार्वजनिक धन की बचत होगी।

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