बोर्ड की भारी चूक से फेल छात्रों को हुई मानसिक प्रताड़ना, दूसरे चरण में पास किए वही विद्यार्थी:–अभाविप
बोर्ड की आय बढ़ाने के नाम पर छात्रों का शोषण:–नैंसी अटल
शिक्षा बोर्ड की मनमानी पर तीखी आपत्ति, छात्रों के साथ हो रहा अन्याय बंद हो:–अभाविप
रिपब्लिक भारत न्यूज़ 25-05-2025
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने बयान जारी करते हुए कहां की, हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (HPBOSE) द्वारा घोषित हालिया मेट्रिक (10वीं) और जमा दो (10+2) परीक्षाओं के परिणामों में भारी अनियमितताओं और बोर्ड की पुनर्मूल्यांकन में की गई सौ प्रतिशत शुल्क वृद्धि के खिलाफ गहरा रोष प्रकट करता है।
HPBOSE द्वारा इस वर्ष परीक्षा परिणाम दो चरणों में घोषित किए गए, जिसमें पहले चरण में बहुत से विद्यार्थियों को बिना किसी ठोस कारण के अनुत्तीर्ण कर दिया गया। इसके पश्चात दूसरे चरण में वही छात्र उत्तीर्ण घोषित कर दिए गए। इस प्रक्रिया ने न केवल छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि उनके आत्मविश्वास और भविष्य पर भी गहरा आघात पहुँचाया। यह स्पष्ट है कि यह एक सुनियोजित षड्यंत्र था, जिससे छात्रों को ‘री-चेकिंग’ व ‘री-वैल्यूएशन’ जैसी प्रक्रियाओं की ओर मजबूर किया गया और बोर्ड की आय में वृद्धि करने की योजना बनाई गई ।
प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने कहां कि चिंता का विषय यह है कि HPBOSE ने रीचेकिंग और रीवैल्यूएशन की फीस में 100% की वृद्धि कर दी है। पहले जहाँ रीचेकिंग की फीस ₹400 थी, अब उसे ₹800 कर दिया गया है, वहीं रीवैल्यूएशन की फीस ₹500 से बढ़ाकर ₹1000 कर दी गई है। यह बढ़ोतरी न केवल अनुचित है, बल्कि निम्न व मध्यमवर्गीय परिवारों पर अत्यधिक आर्थिक बोझ डालने वाली भी है। कई अभिभावक इतनी अधिक फीस वहन करने में असमर्थ हैं, जिससे उनके बच्चों के भविष्य पर गहरा संकट खड़ा हो गया है।
प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने कहां की सिर्फ नियमित शिक्षा ही नहीं, बल्कि स्टेट ओपन स्कूल (SOS) के छात्रों के साथ भी अत्याचार हो रहा है। SOS के अंतर्गत परीक्षाएं देने वाले छात्रों से ₹3000 तक की फीस वसूली जा रही है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण एवं असंवेदनशील निर्णय है।
अभाविप मांग करता है कि:
1. HPBOSE परीक्षा परिणामों की निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए।
2. रीचेकिंग व रीवैल्यूएशन की बढ़ी हुई फीस को तुरंत वापस लिया जाए।
3. भविष्य में परिणाम को सावधानी पूर्वक तैयार करने के बाद ही उसे घोषित किया जाए ।
4. SOS में फीस घटाकर छात्र हित में निर्णय लिए जाएँ ।
विद्यार्थियों के हितों के साथ कोई भी समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि उक्त मांगों पर तुरंत कार्रवाई नहीं की जाती तो अभाविप छात्रों के अधिकारों की रक्षा हेतु आंदोलन करने को बाध्य होगी।